वास्तविक धर्म:
- धर्म है आपका स्वभाव , धर्म कभी भी किसी के भी द्वारा,किसी भी काल मे,किसी भी स्थान पर,कभी भी बदला नही जा सकता है। अनंत काल से सभी का धर्म एक ही है और अनंत काल तक सभी का धर्म वो ही रहेगा,परमात्मा भी चाहे तो उसे बदल नही सकता ।
- धर्म किसी भी जाति,देश,देवता,अवतार,तीर्थंकार ,शास्त्र,गुरु से बँधा हुआ नही है,और अगर कोई धर्म बँधा हुआ है तो वो धर्म नहीं हो सकता है।
- धर्म तो हर जगह,हर काल में,हर समय,हर जाति और मनुष्य के लिए सदा समानरूप से उपलब्ध है अस्तित्व की तरह। धर्म शाश्वत होता है। धर्म सदा जीवंत होता है। धर्म सभी का एक ही होता है। अनेक अधर्म हो सकते है,धर्म नहीं ।
- धर्म कभी बदला नहीं जा सकता हैं ,जो बदल जाय़े समझना वह धर्म नहीं अधर्म हैं ।
स्वधर्म और परधर्म क्या है ?
"स्वधर्म है आपका गुणधर्म जो आप लेकर के आये हो और परधर्म जो कार्य आप दूसरो के देखकर या मानकर करते हो । आप अपने स्वधर्म मे रहकर ही पूरे खिल सकते हो और जो भी कार्य आप कर रहे हो उसे करते करते ही ध्यान मे प्रवेश कर सकते हो और आपका अहंकार खो जाएगा और दूसरो के धर्म को देखकर या मानकर जो भी करोगे उसमे आप हमेशा असंतुष्ट रहेगे ,तृप्त कभी भी नही हो पाएगे।"~~#महाशून्य
True Religion:
- Your in-built nature is religion, religion ever by anyone, at any time, any place can not be changed. From eternity religion of everybody is one that will remain same eternally,God can not even change it either.
- Religion cannot be screwed up by any Cast,Country, God, Incarnation, Tirthankara, Scripture, Guru ,and the religion which is screwed up cannot be a religion.
- Religion is available equally and forever to everywhere, every time, every caste and human-being.Religion is eternal.Religion is always alive.Religion is one and same for all.Many religions cannot be religion but non religions.
- Religion can never be changed,If changed that means that cannot be a religion.
What is Self-religion and Other-religion ?
"Self-religion means all in-built qualities you have and
other-religion means whatever you do by seeing or believing others
qualities.You can only intermittently in full bloom by doing as per your
self-religion and one day you can enter into meditation and your ego will
disappear and whatever you will do by copying or believing others you will
never be fully contented and satisfied."~~#Mahashunya
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