Wednesday 22 June 2016

कबीर जयंती

कबीर जयंती :

कबीर ने कहा है " गुरु तो रंगरेज है "
वो शिष्य को अपने ही रंग से रंग देता है मतलब वो शिष्य को भी गुरु ही बना देता है,
कबीर फिर कहते है :
"पारस और संत मे एक ही अन्तर जान,
पारस लोहे को सोना करे,संत कर दे आप समान ॥ “


“’गुरू गुरू में भेद है, गुरू गुरू में भाव ।
गुरू सोई बंदिये, जो सबद बतावे दाव ॥"

“’गुरू से लगन कठिन है भाई, गुरू से लगन कठिन है भाई ।
लगन लगे बिन काज न सरि है, जीव प्रलय हो जाई॥"

"सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी, ओढ़ी कै मैली कीनी चदरिया।
दास 'कबीर' जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धरि दीनी चदरिया॥"

”’जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये ।
मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय ॥"

“’माटी का एक नाग बनाके ,पुजे लोग लुगाया ।
जिंदा नाग जब घर में निकले ,ले लाठी धमकाया ॥"

कबीर जयंती पर सभी मित्रो को हार्दिक शुभकामनाये ॥"~~महाशून्य

योग मनुष्य मात्र के लिए : विश्व योग दिवस – २१ जून : Yog for Whole Mankind : World Yoga Day - June 21


योग मनुष्य मात्र के लिए : विश्व योग दिवस – २१ जून


“सारे विश्व के मित्रो ,सगे संबंधियों , भाईयो, बहनों, माता, पिता, गुरुओ को विश्व योग दिवस की शुभकामनाये । विश्व के प्रत्येक मनुष्य को योग कि आवश्कता है । प्रत्येक मनुष्य का ये जन्मसिद्द अधिकार है कि वो योग को उपलब्ध हो । योग का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलन , बूंद का सागर में मिल जाना, अहंकार का मिटना , सूफियो के अनुसार ‘बका’ से ‘फ़ना’ हो जाना । और इस मिलन के रास्ते में जो भी बाधा है उसे दूर करने का प्रयास ही योगा, सत्संग और ध्यान है । इसीलिए सभी मनुष्यों को योगा, सत्संग और ध्यान के लिए प्रतिदिन कम से कम एक घंटा देना चाहिए ,जिससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मन कि साधना भी हो जाये और आप अपने निज स्वरुप में स्थित हो जाये और एक आनंदित जीवन जीने का मजा लेते हुए मुक्ति को प्राप्त हो । उपनिषद का वाक्य है :
"सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥“
सभी सुखी हो, सभी निरोग हो, सभी सुंदर दिखे,, और किसी के भाग्य में किसी प्रकार का दुःख न ही. मेरी यहि कामना है !!"
योग मनुष्य मात्र के लिए है इसका किसी भी जाति, मजहब, धर्म, कुल, पंत, संप्रदाय, वर्ण, स्थान आदि से कोई लेना देना नहीं है । 
*श्रीमदभगवत-गीता में भी भगवान कृष्ण ने जो योगो कि बात कही है ,वह मनुष्य मात्र के लिए है चाहे वो कर्म-योग हो, भक्ति-योग हो या ज्ञान-योग हो ।
*ऋषि पन्तंजलि ने भी जो ‘अष्टांग-योग’ बताये है वो भी किसी धर्म विशेष के व्यक्तियों के लिए नहीं ,केवल मानव मात्र के लिए। 
*अष्टावक्र ने भी ‘सांख्य-योग’ कि बात कही है । सीधी छलांग है परमात्मा में । 
*संत कबीर ने ‘सहज-योग’ कि बात कही है । 
*नारद, मीरा और चेतन्य महाप्रभू ‘भक्ति-योग’ से पहुंचे है । बुद्ध,महावीर ‘ज्ञान-योग’ से पहुंचे है ।
कृष्ण गीता में कहते है कि योग करने वाले का ‘योग-क्षेम’ में स्वयं वहन करता हु । भगवतस्वरुप कि प्राप्ति का नाम ‘योग’ है और भगवत्प्राप्ति के निमित्त किये हुए साधन कि रक्षा का नाम ‘क्षेम’ है ।“~~महाशून्य

Yog for Whole Mankind : World Yoga Day - June 21


"I wish to all the world's friends, relatives, brothers, sisters, mother, father, Masters a Happy World Yoga Day. Yoga is the need of every person of the world. It is the human right of every human to attain yoga. Yoga means union with the Divine Spirit, disappearance of a drop into the ocean, the loss of ego, according to Sufies transformation from ‘Baka' to ‘Fana'. And any effort to get rid of all the obstacles in the way of the yoga are Yogasan, Satsang and Meditation. So every human being must spent at least one hour per day in Yoga ,Satsang and Meditation so as to achieve not only physical health but also to silence the mind to realize the truth and while enjoying life ultimately get liberated. Upanishad says :
"सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥“
May all be happy. May all be healthy."
May we all experience what is good and let no one suffer."
Yoga has nothing to do with any race, religion, kul, pant, varn, locations etc.
*Lord Krishna also said in ‘Bhagvat-geeta ‘ that all the yoga’s are merely for human being whether it is ‘Karm-yog’,Bhakti-yog’ or Gyan-yog’.
*Rishi Patanjali’s Ashtanga-yoga are also for the whole humanity not only for some religious people.
*Ashtavakra said Sankhya Yoga by which you can jump directly in the divine.
*Sant Kabir used the word Sahaja Yoga.
*Narad, Meerabai and Chetanya Mahaprbhu had reached by Bhakti-Yoga.Buddha,Mahavir had reached by Gyan-yoga.
Krishna says in the Gita that ‘I take care of all efforts of all the people on the path of yoga.’
‘To attain enlightenment is called “Yog” and to take care of 
all the obstacles on the path of yoga is called ‘ Kshem’.”~~Mahashunya

Friday 3 June 2016

प्रश्‍न और उत्तर : Questions And Answers

प्रश्‍न और उत्तर


"प्रश्नो का खो जाना ही प्रश्नो से मुक्ति है,यही सारे प्रश्नो के उत्तर है,
वासनाओ का ख़तम हो जाना ही वासनाओ से मुक्ति है,यही सारी वासनाओ की पूर्णता है-"~~महाशून्य

Questions And Answers

"The answers of all questions are possible only by dissolving all the questions,

Desires can be fulfilled only by dissolving all the desires meant getting free from all the desires."~~Mahashunya