समय क्या है ? :
"समय का बोध तभी तक होता है जब तक मन है,जो या तो भूतकाल का चिंतन करता रहता है या भविष्य की चिंता। मन अगर वर्तमान मे आ जाए तो वह मन नही रहेगा,आत्मा ही रह जाएगा। अस्तित्व में ना तो भूतकाल होता है ना ही भविष्य काल,अस्तित्व में तो सिर्फ़ वर्तमान होता है,इसे वर्तमान कहना भी उचित नही,इसे समयातीत कहा जा सकता है।
समय की गति तभी तक है जब तक मनुष्य का अहंकार मौजूद है,जिनका अहंकार चला गया है उनके लिए अब समय ही समय है,अनंत काल है,या वे समयातीत हो गये है।
जब मन ठहर जाता है तो समय भी ठहर जाता है,वास्तव मे समय भी ठहरा ही हुआ था,केवल हमारे मन की चंचलता उसका आभास दे रही थी।"~~महाशून्य
What is Time :
"Perception of time is only as long as the mind is,
which keeps thinking of either the past or worrying about the future. Now, if
mind can be found in present moment then it can not remain as mind but soul
itself.
For existence there is neither past nor future tense
exist, it exist only in the present, it is currently not appropriate to say, it
can be called Timelessness.
The speed of time exists only as long as the ego of man
is there,whose ego is gone, now it's time for them to eternity, or that they have
come in the state of Timelessness.
If mind stops then speed of time also stops,actually
time has no movement at all ,only it is the perception of our mind."~~Mahashunya
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