Sunday 16 July 2017

गुरु-पूर्णिमा : Guru Purnima

गुरु-पूर्णिमा :

*गुरु के प्रति शिष्य का प्रेम ,अनुग्रह का भाव प्रकट करने का अवसर*
"गुरु-पूर्णिमा एक ऐसा पर्व ऋषि-मुनीओ ने बनाया है जिससे साल में कम से कम एक बार साधक, शिष्य अपने जीवन मे आए सभी गुरुओ के प्रति आभार, अनुग्रह का भाव प्रगट कर सके , गुरु को अपना अहंकार समर्पित करें , अपनी यात्रा मे अग्रसर होते जाए और अंत मे अपना मुक्ति का, मोक्ष का, आनंद के लक्ष्य को प्राप्त हो जाए।
ये पर्व उनके लिए भी है जिन्होने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और दूसरो को भी उनके लक्ष्य मे सहयोग कर रहे है वे भी उनके जीवन मे आए सभी गुरुओ से, प्रकृति से, पशुओ से, पक्षियो से, अपने संबंधियो से, मित्रो से, पड़ोसियो से इत्यादि से सीखा उन सब के प्रति अपना अनुग्रह का भाव प्रगट करे।
और ये भाव आप अपने मन में भीतर ही भीतर प्रगट कर सकते है अगर गुरु अभी मौजूद नहीं है या आप गुरु के दर पर नही जा सकते है।
अगर केवल उपर से दिखा रहे है और भीतर का भाव गहरा नहीं है तो इसका कोई भी लाभ नही होगा और अगर बाहरी तोर पर दिखावा नहीं है और भीतर से गहरा भाव है तो भी पूरा लाभ मिलेगा चाहे आप गुरु के नज़दीक ना भी हो क्योंकि गुरु कोई शरीर नही है ,वो तो उर्जा है, शक्ति है ,तत्व है जो पूरे ब्रह्मांड मे सर्वत्र व्याप्त है ।
ऐसे पर्व पर मे आप सभी को हार्दिक शुभकामनाए देता हूँ और में भी अपने जीवन मे आए सभी गुरुओ के प्रति जिन्होने मुझे अपने लक्ष्य तक पहुँचने मे जाने, अंजाने सहायता की, मार्गदर्शन दिया उन सभी को में अपनी आत्मा की गहराई से अपना आभार, कृतगयता , अनुग्रह का भाव प्रगट करता हूँ।"
*सभी प्रेमियों को बेशर्त प्रेम के साथ गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाइयाँ*
--#महाशून्य

*Guru Purnima:*

"Guru Purnima is a festival created by mystics so that every seeker, disciple at least once in a year can express thanks, gratitute to all the Masters who guided them and can surrender their ego on the feet of Guru so that they can enhance their progress and achieve the ultimate goal of their life i.e. Salvation and Bliss.
This festival is also for those who have achieved their ultimate goal and helping others to achieve their goals and express their gratitue towards all the Masters, Nature, Animals, Birds, Relatives, Friends, Neighbors etc.
 

And this sence of gratitute can be inside anly in case of Master is not physically alive or you cannot reach to the living master.
There will be no benefit if you are just showing your gratitude from outside but inside you have no sense of gratitute and even if you are not showing it outward and in deep down inside you have a great sence of gratitute this will be more benefial even if you are away from the Master because Master is not a body but Universal Energy, Power, Element which is surrounding the whole universe.
All my best wishes to all of you on this auspicious occasion and I also express my Gratitute ,Thanks from the ultimate depth of my soul towards all the Masters who came in my life and helped knowingly or unknowingly in achieving my ultimate goal."--
*Happy Guru purnima to all lovers with unconditional love*
-- #Mahashunya

"महाशून्य' की "ध्यान" की निःशुल्क वर्कशॉप :

"महाशून्य' की "ध्यान" की निःशुल्क वर्कशॉप

योग टेम्पल,इंदौर (MP)-India की रविवार दिनांक 2 जुलाई 17 की "महाशून्य' की "ध्यान" की निःशुल्क वर्कशॉप मीडिया में प्रकाशित:
दैनिक भास्कर,
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#Mahashunya








योग मनुष्य मात्र के लिए : विश्व योग दिवस – २१ जून : Yog for Whole Mankind : World Yoga Day - June 21

योग मनुष्य मात्र के लिए : विश्व योग दिवस – २१ जून 

“सारे विश्व के मित्रो ,सगे संबंधियों , भाईयो, बहनों, माता, पिता, गुरुओ को विश्व योग दिवस की शुभकामनाये । विश्व के प्रत्येक मनुष्य को योग कि आवश्कता है । प्रत्येक मनुष्य का ये जन्मसिद्द अधिकार है कि वो योग को उपलब्ध हो । योग का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलन , बूंद का सागर में मिल जाना, अहंकार का मिटना , सूफियो के अनुसार ‘बका’ से ‘फ़ना’ हो जाना । और इस मिलन के रास्ते में जो भी बाधा है उसे दूर करने का प्रयास ही योगा, सत्संग और ध्यान है । 
इसीलिए सभी मनुष्यों को योगा, सत्संग और ध्यान के लिए प्रतिदिन कम से कम एक घंटा देना चाहिए ,जिससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मन कि साधना भी हो जाये और आप अपने निज स्वरुप में स्थित हो जाये और एक आनंदित जीवन जीने का मजा लेते हुए मुक्ति को प्राप्त हो । उपनिषद का वाक्य है :
"सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥“
सभी सुखी हो, सभी निरोग हो, सभी सुंदर दिखे,, और किसी के भाग्य में किसी प्रकार का दुःख न ही. मेरी यहि कामना है !!"
योग मनुष्य मात्र के लिए है इसका किसी भी जाति, मजहब, धर्म, कुल, पंत, संप्रदाय, वर्ण, स्थान आदि से कोई लेना देना नहीं है । 
*श्रीमदभगवत-गीता में भी भगवान कृष्ण ने जो योगो कि बात कही है ,वह मनुष्य मात्र के लिए है चाहे वो कर्म-योग हो, भक्ति-योग हो या ज्ञान-योग हो ।

*ऋषि पन्तंजलि ने भी जो ‘अष्टांग-योग’ बताये है वो भी किसी धर्म विशेष के व्यक्तियों के लिए नहीं ,केवल मानव मात्र के लिए। 
*अष्टावक्र ने भी ‘सांख्य-योग’ कि बात कही है । सीधी छलांग है परमात्मा में । 
*संत कबीर ने ‘सहज-योग’ कि बात कही है । 
*नारद, मीरा और चेतन्य महाप्रभू ‘भक्ति-योग’ से पहुंचे है । बुद्ध,महावीर ‘ज्ञान-योग’ से पहुंचे है ।
कृष्ण गीता में कहते है कि योग करने वाले का ‘योग-क्षेम’ में स्वयं वहन करता हु । भगवतस्वरुप कि प्राप्ति का नाम ‘योग’ है और भगवत्प्राप्ति के निमित्त किये हुए साधन कि रक्षा का नाम ‘क्षेम’ है ।“~~#महाशून्य


Yog for Whole Mankind : World Yoga Day - June 21

"I wish to all the world's friends, relatives, brothers, sisters, mother, father, Masters a Happy World Yoga Day. Yoga is the need of every person of the world. It is the human right of every human to attain yoga. Yoga means union with the Divine Spirit, disappearance of a drop into the ocean, the loss of ego, according to Sufies transformation from ‘Baka' to ‘Fana'. And any effort to get rid of all the obstacles in the way of the yoga are Yogasan,
Satsang and Meditation. So every human being must spent at least one hour per day in Yoga ,Satsang and Meditation so as to achieve not only physical health but also to silence the mind to realize the truth and while enjoying life ultimately get liberated. Upanishad says :
"सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥“
May all be happy. May all be healthy." May we all experience what is good and let no one suffer."


Yoga has nothing to do with any race, religion, kul, pant, varn, locations etc.
*Lord Krishna also said in ‘Bhagvat-geeta ‘ that all the yoga’s are merely for human being whether it is ‘Karm-yog’,Bhakti-yog’ or Gyan-yog’.

*Rishi Patanjali’s Ashtanga-yoga are also for the whole humanity not only for some religious people.
*Ashtavakra said Sankhya Yoga by which you can jump directly in the divine.
*Sant Kabir used the word Sahaja Yoga.
*Narad, Meerabai and Chetanya Mahaprbhu had reached by Bhakti-Yoga.Buddha,Mahavir had reached by Gyan-yoga.
Krishna says in the Gita that ‘I take care of all efforts of all the people on the path of yoga.’
‘To attain enlightenment is called “Yog” and to take care of all the obstacles on the path of yoga is called ‘ Kshem’ .”~~#Mahashunya


प्रेम :

प्रेम :

प्रेम का मतलब है कि एकात्म का अनुभव, एक हो जाना, जहाँ द्वेत समाप्त हो जाता है, जहाँ द्वेत के पार की अनुभूति है, जहा अद्वेत होता है ।
परमात्मा प्रेम-स्वरूप है, और उसका स्वभाव है प्रेम ,वो सदा ही प्रेम करता है, प्रेममय है । हर मनुष्य प्रेम चाहता है क्योंकि वह भी प्रेम-स्वरूप ही है।

जीसस ने भी कहा है –‘God is Love “- *‘परमात्मा प्रेम हैं’* या इसे ऐसे भी कह सकते है कि –‘Love is God’-‘प्रेम परमात्मा हैं’,दोनों ही बाते सत्य है क्योंकि प्रेम परमात्मा के कण कण में व्याप्त है ।

किसी साधक ने जब मुझसे पूछा कि-‘स्वामीजी क्या आप परमात्मा को परिभाषित कर सकते है ?
तो मैंने कहाँ कि परमात्मा के बारे में बयां करना असंभव है और कोई भी भाषा या शब्द उसे कहने में असमर्थ है ,सत्य, परमात्मा तो अनुभूति का विषय है, कहने का नही, सत्य में तो हुआ जाता है, जिया जाता है, जाना जाता है, जितना भी अभी तक कहा गया है वो भी पूर्ण सत्य नहीं हो सकता है, क्योंकि जो शब्दों के परे है उसको शब्दों में केसे बयाँ कर सकते है फिर भी जो परिभाषा में अपने अनुभव के आधार पर कहने का प्रयास भर कर सकता हूँ वो में तुम्हें कहता हूँ:
परमात्मा : *"जो अनंत दिशाओ से, अनन्य भाव से, सदा, सभी काल में, सभी प्राणियो को समान रूप से बेशर्त प्रेम करता है, वही परमात्मा है ।”*~~#महाशुन्य

बुद्ध पूर्णिमा : Buddha Purnima :

बुद्ध पूर्णिमा :

"बुद्ध वह है जो अपने स्वयं के वास्तविक घर वापस आ गया है,और बाकी सभी जिनकी अपने स्वयं के वास्तविक घर वापस आने की आगामी भविष्य मे पूर्ण संभावना है वो भविष्य के बुद्ध है।"~~#महाशून्य
बुद्ध पूर्णिमा की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाये।

Buddha Purnima :

"Buddha is one who has returned back to his real home, and all others who have their potential of returning back to their real home in near future are future Buddhas."~~ #Mahashunya
Happy Buddha Purnima to all my dear friends.

अपने जीवन में पूरा खिलो :


अपने जीवन में पूरा खिलो :

"कमल की तरह खिल जाओ। और
कमल की ही तरह निर्लेप रहो संसार में। 

संसार में रहकर भी संसार तुम्हे आसक्त ना कर पाये। जैसे कमल कीचड़ में रहकर ही खिलता है और फिर भी कीचड़ उसे छु नहीं पाता है । ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में जीता है,उसे ही जीवन जीने की कला आती है। बाकि सब तो बोझा लेकर जिंदगी काट रहे है।"~~महाशून्य

गुरु तो रंगरेज :

गुरु तो रंगरेज :

कबीर ने कहा है " गुरु तो रंगरेज है "
वो शिष्य को अपने ही रंग से रंग देता है मतलब वो शिष्य को भी गुरु ही बना देता है, कबीर फिर कहते है :
*"पारस और संत मे एक ही अन्तर जान,*
*पारस लोहे को सोना करे,संत कर दे आप समान॥“*

मीरा कहती है :
*"श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया । ऐसी रंग दे, के रंग नहीं छुटे , धोभिया धोये चाहे सारी उमरिया, लाल ना रंगाऊं मैं, हरी ना रंगाऊ, अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया, श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया, श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया । बिना रंगाये मैं तो घर नाही जाउंगी, बीत ही जाए चाहे सारी उमरिया॥ “*
"बैठी संतो के संग, रंगी मोहन के रंग, मीरा प्रेमी-प्रीतम को मनाने लगी"
इस शुभ अवसर पर मिटा तो अपने भीतर का द्वेष,वैमनस्य और
सभी प्रेमियों से और शत्रुओं से गले मिलकर प्रकृति के सप्त रंगो से खुद भी रंग जाओ और औरों को भी रंग दो।
अपने जीवन को भी प्रतिदिन खुशियों के रंगो से भर लो।

असली ख़ुशी :

असली ख़ुशी :

"असली ख़ुशी आपके भीतर है,यह बाहर की परिस्थिति पर निर्भर नहीं है।
क्या आप बिना मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, टीवी, कार, सूंदर वस्त्र आभूषण, स्वादिष्ट भोजन के भी खुश रह सकते है।
अगर आपका जबाब 'हां' है तो फिर आप गरीब होकर भी बादशाह है।
और अगर आपका जबाब 'नहीं' है तो आप अमीर होकर भी गरीब ही है।"~~महाशून्य

शिव,शक्ति और माया :

शिव,शक्ति और माया :


"शिव है निराकार परमात्मा,


शक्ति है साकार प्रकृति और 


माया है परिवर्तनशील प्रकृति।"~~ महाशून्य 

वास्तविक प्रेम दिवस (वैलेंटाइन डे ) :

वास्तविक प्रेम दिवस (वैलेंटाइन डे ) :

"प्रेम करने का कोई दिन नहीं होता है। प्रेम तो प्रतिक्षण होता है।
प्रेम किसी व्यक्ति विशेष या वस्तु विशेष को ही नहीं किया जाता है। 
प्रेम तो एक स्थिति है जिसमे सदा सभी के प्रति प्रेम बहता रहता है,जैसे फूल अपनी खुशबू बिखेरता है चाहे कोई हो न हो।
अगर प्रेम किसी शर्त पर निर्भर है तो वो प्रेम नहीं है,सौदा है।
प्रेम तो बेशर्त होता है।
सभी को समानरूप से प्रतिपल प्रेम का होना ही वास्तविक प्रेमदिवस मनाना है।"
~~महाशून्य

भागना और जागना :

भागना और जागना :

"संसार से भागना नहीं है,
केवल जागना है 
और कभी भी कहीं भी जागा जा सकता है,
इसके लिए जंगल में या हिमालय में या किसी आश्रम में जाने की आवशयकता नहीं है।
यहीं संसार में,
गृहस्थ में रहकर ही जागा जा सकता है।"~~ महाशून्य 

पाना और खोना : Gain and Loss :

पाना और खोना :

"जो दिया जा सकता है,वहीं छीना भी जा सकता है,
जिसे दिया ना जा सके,उसे छीना भी नहीं जा सकता है,
जो छीना नहीं जा सकता है,उसे पाया भी नही जा सकता है,
जिसे पाया जा सके,उसे खोया भी जा सकता है,
जो केवल पहले से ही पाया हुआ है,केवल वही पाया जाता है,
जो केवल पहले से ही छीना हुआ है,केवल वही छीना जा सकता है।"~~महाशून्य

Gain and Loss :

"That can be given,it can be taken way,
That can not be given,it can not be taken away,
Which can not be taken away,it also can not be found,
That can be found,it may also be lost,
Which is already found,only that is found,
Which is already captured,can only be taken away."~~Mahashunya

आत्मा का स्वभाव : The Nature of Spirit :

"आत्मा का स्वभाव :

आत्मा अगर ज्ञानस्वरूप है तो उसमे अज्ञान में उतरने की भी संभावना निहित है,
आत्मा अगर शांतस्वरूप है तो उसके अशांति में होने की भी संभावना छिपी है,
आत्मा अगर सत्य स्वरूप है तो उसके असत्य में होने की भी संभावना छिपी है,
यानी जिसमे जो क्षमता है उसमे ही उसके विपरीत क्षमता विद्यमान है।"

~~महाशून्य

The Nature of Spirit :

"If the nature of spirit is knowledge then there is possibility to be in ignorance,
If the nature of spirit is peaceful then there is possibility to be in turmoil,
If the nature of spirit is real then there is possibility to be in unreal,
means there is possibility of having opposite of the potential ability also."~~Mahashunya

भीतर की रोशनी :


भीतर की रोशनी :

"अगर सभी अपने अपने भीतर विवेक रूपी रोशनी को जगा ले तो पुरे विश्व में रोशनी हो सकती है।
अगर दुसरो को रोशन करने चले तो खुद भी रोशन नहीं हो पाओगे और ना ही दूसरों को रोशन कर पाओगे।

जिसने अपने स्वयं के भीतर को प्रकाशित कर लिया है तो वो दूसरों को प्रकाशित होने में केवल सहायक हो सकता है कुछ क्षणों के लिए लेकिन आपको अपनी ही बाती और तेल चाहिये और लौ भी आपको ही जलानी है। 
अगर आप भीतर से पात्र हो गए जलने के तो गुरु की रोशनी आपके भीतर भी प्रकाशित हो जायेगी।फिर आपकी और गुरु की रोशनी एक ही होगी।"~~महाशून्य

ज्ञान और ध्यान :

ज्ञान और ध्यान :

"तथागतित धार्मिक गुरुओं का काम है आपके भीतर कचरा डालना और सद्गुरुओं का काम आपके भीतर के कचरे को साफ करना।
कचरा डालना 'ज्ञान' है और कचरा साफ करना 'ध्यान' है।

जो भी तथागतित ज्ञान तुमने अभी तक अर्जित किया है,स्कूलों में,विश्वविद्यालयों में ,गुरुकुलों में जो तुम्हें शिक्षकों से ,अध्यापको से,शास्त्रों से ,धार्मिक पंडितों से,पुरोहितों से,मुल्ला मौलवीयों से,पादरियों से पोप से उससे तुम्हारा मन जानकारियों से भर जाता है । मन का जानकारियों से भर जाना ज्ञान है।

लेकिन अगर तुम्हे परमात्मा का साक्षात्कार करना है तो इन सभी ज्ञान से तुम्हें मुक्त होना होगा और मन को बिलकुल खाली करना होगा,मन को शून्य करना होगा। मन को शून्य करना ही ध्यान है।
सद्गुरु का यही काम है की वो आपको इन सब से मुक्त होने की ध्यान की कला बता दे और आप जीते जी उस शून्य की अनुभूति कर ले।"~~महाशून्य

जानना : Knowing :


जानना :
"ना तो में कुछ जानता हूँ, ना कुछ जानने की इच्छा है, ना कुछ जानना शेष है, ना जानने वाला,ना जिसे जाना जाता है वह शेष है।" ~~महाशून्य

Knowing :
"Neither I know anything, Nor have any desire to know, Neither something left to know, Nor the know-er and to whom to know is left."~~Mahashunya

समय का बोध : Conscious of the Time :

समय का बोध :

"मन की अशांति में समय का बोध है,
परंतु मन की शांति में समय का पता नहीं चलता है।“
~~ महाशून्य

Conscious of the Time :

"Disturbance of the mind is conscious of the time, but the time is not observed while peace of mind."
~~ Mahashunya

सत्य क्या है ? : What is Truth ?

सत्य क्या है ?

"सत्य ,परमात्मा तो अनुभूति का विषय है,कहने का नही,सत्य में तो हुआ जाता है,जिया जाता है,जाना जाता है,जितना भी अभी तक कहा गया है वो भी पूर्ण सत्य नहीं हो सकता है,क्योंकि जो शब्दों के परे है उसको शब्दों में केसे बयाँ कर सकते है ।"~~महाशून्य

What is Truth ?

"Truth,Divine is the subject of experience,not words ,truth can be experienced ,live and known.Whatever had been told so far about the truth cannot be perfectly true,because how words can explained which is beyond words."~~Mahashunya