Thursday 22 September 2016

"अपने जीवन में पूरा खिले"

अपने जीवन में पूरा खिले :


वो बीज ही क्या जो वृक्ष न हो पाये,
वो ऋतु ही क्या जो बसंत की बहार न ला पाये,
वो मनुष्य ही क्या जो परमात्मा न हो पाये,
वो स्त्री ही क्या जो संतान को जन्म न दे सके,
वो नर ही क्या जो नारायण न हो सके,
वो भक्त ही क्या जो भगवान न हो सके,
वो साधना ही क्या जो साध्य तक न ले जा सके,
वो शिष्य ही क्या जो गुरु न बन सके,
वो गुरु ही क्या जो सत्य का ज्ञान न दे सके,
वो नाम ही क्या जिसमे ॐ का गुंजन न हो,
वो दिल ही क्या जिसने कभी प्रेम न किया हो,
वो सिर ही क्या जो गुरु चरणों में न झुकता हो,
वो पैर ही क्या जो सत्संग में न ले जाते हो,
वो कान ही क्या जो सत्संग न सुनते हो,
वो आंख ही क्या जो आश्चर्य से न भरी हो,
वो हाथ ही क्या जो परोपकार में न लगे हो,
वो वाणी कि क्या जिससे अमृत न बरसता हो,
वो मन ही क्या जो कभी शांत न होता हो,
वो सुख ही क्या जो कभी खो जाता हो,
वो दुःख ही क्या जो प्रभु कि याद न दिलाता हो।

जब तक आपका व्यक्तित्व पूरा नहीं खिलता जहाँ तक सम्भावना है तब तक वो शांति, वो आनंद, वो माधुर्य नहीं मिलेगा जिसके की आप हकदार है ।~~महाशून्य

Tuesday 13 September 2016

जीवन और मृत्यु : Life and Death

"जीवन और मृत्यु :

जीवन तो सदा से था ,अभी भी हैं और सदा ही रहने वाला है ,जीवन कभी समाप्त नहीं होता हैं ,केवल जिसे हम मौत कहते हैं वह एक पड़ाव है जहाँ आत्मा अपना शरीर मतलब वस्त्र बदलती है और फिर से जीवन की आगे की यात्रा चलती रहती है ।
जीवन शाश्वत होता है,इस दुनिया में कुछ भी नष्ट नहीं होता है ,एक बालू का कण भी नहीं,केवल रूप बदल सकता है।

इस शाश्वत जीवन की कद्र करो ।
शान से जीओ और दुसरो जीवों को भी जीने दो ।" - महाशून्य