अँधेरा और रोशनी :
"अँधेरे को देखने के लिए भी रोशनी चाहिए लेकिन आपकी अपनी रोशनी से ही अँधेरा दूर होगा।गुरु को देखकर आपको अपने भीतर के अँधेरे का बोध हो सकता है और फिर उसे आप दूर करने का प्रयास करते है।
गुरु प्रकाश का प्रतिक है। दूसरे के घर का जलता हुआ दीया देखकर आपको अपने घर का अंधकार देखाई पड़ जाता है।"~~महाशून्य
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