Saturday 24 June 2017

शास्त्रों की सार्थकता :

शास्त्रों की सार्थकता :

"शास्त्रो से ज्ञान कैसे हो सकता है,क्योंकि शास्त्रो के अर्थ तुम्हारे अपने होंगे उसके नहीं जिसने शास्त्र कहे थे। उसका असली अर्थ तो वहीँ बता सकता है और वो अब मौजूद नहीं है। और जब वो मौजूद होता है और कहता है तब भी तुम अपने अर्थ निकाल कर उसको सुनते हो।
इसीलिए शास्त्रों के अध्यन से कभी कोई आत्मज्ञान को उपलब्ध नहीं हुआ। हा अगर आत्मज्ञान को उपलब्ध हो गया तो जरूर वो जो बोलेगा वो शास्त्र हो जायेगा।

फिर वो ठीक से शास्त्रों को समझ पायेगा,और फिर उसको शास्त्र पढ़ने की जरुरत ही नहीं रह जायेगी। फिर भी वो पढता है और आनंदित होता है अपने अनुभूति को शास्त्रों के द्वारा मिलान होने पर।

फिर वो शास्त्रों का सहारा लेता है तुमको समझाने के लिए क्योंकि तुम शास्त्र की भाषा ही समझते हो,लेकिन कहता वो अपनी ही बात।" ~~महाशून्य

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