भीतर की रोशनी :
"अगर सभी अपने अपने भीतर विवेक रूपी रोशनी को जगा ले तो पुरे विश्व में रोशनी हो सकती है।अगर दुसरो को रोशन करने चले तो खुद भी रोशन नहीं हो पाओगे और ना ही दूसरों को रोशन कर पाओगे।
जिसने अपने स्वयं के भीतर को प्रकाशित कर लिया है तो वो दूसरों को प्रकाशित होने में केवल सहायक हो सकता है कुछ क्षणों के लिए लेकिन आपको अपनी ही बाती और तेल चाहिये और लौ भी आपको ही जलानी है।
अगर आप भीतर से पात्र हो गए जलने के तो गुरु की रोशनी आपके भीतर भी प्रकाशित हो जायेगी।फिर आपकी और गुरु की रोशनी एक ही होगी।"~~महाशून्य
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