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अपने जीवन में पूरा खिलो :
"कमल की तरह खिल जाओ। औरकमल की ही तरह निर्लेप रहो संसार में।
संसार में रहकर भी संसार तुम्हे आसक्त ना कर पाये। जैसे कमल कीचड़ में रहकर ही खिलता है और फिर भी कीचड़ उसे छु नहीं पाता है । ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में जीता है,उसे ही जीवन जीने की कला आती है। बाकि सब तो बोझा लेकर जिंदगी काट रहे है।"~~महाशून्य
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