"अहंकार की बलि "
वास्तव में बलि चढ़ाने का अर्थ है कि 'अहंकार' की बलि ,अपने 'अहम्' की बलि,अपने 'मैं' की बलि,अपनी 'खुदी' की बलि ,लेकिन हमने पकड़ लिया की किसी पशु की बलि चढ़ाने से देवी-देवता प्रसन्न होते है ।
वास्तव में परमात्मा आपके 'अहंकार' का भूखा है,उसकी बलि चढ़ाने का विधान है,अगर आप अपने अहंकार की बलि चढ़ाते है तो वह खुश होता है और अपने आपको ही तुम्हे चढ़ा देता है।
सौदा कितना सस्ता है,तुम अपने अहंकार को चढ़ाओ ,तो वह अपने आप को ही तुम पर न्यौछावर कर देता है,फिर तुम और परमात्मा दो नही रह जाते हो। इसलिए
कृपया विचार करें-
क्या पशु की ,फुलो की बलि चढ़ाना आवश्यक है,परमात्मा के दरबार में उसी के द्वारा बनाई गई वस्तु चढ़ाने से क्या होगा ? परमात्मा ने मनुष्य,पशु,पक्षी,वृक्ष,फूल बनाये तो क्या वह उसी की चीज़ उसी को चढ़ाने से प्रसन्न होगा,वह तो उस चीज़ से प्रसन्न होगा जो उसने नहीं बनाई।
जो उसने नही बनाई वह है तुम्हारा 'अहंकार',तुम्हारा 'मैं',तुम्हारा 'अज्ञान',उसकी बलि चढ़ा दो तो वह अत्यंत प्रसन्न होगा।"~~महाशून्य
" Sacrifice of the Ego "
In fact ,sacrifice means the
sacrifice of ' ego ' sacrifice of 'I' sacrifice of 'carved', but we used to
sacrifice animals to the goddess to please them.God really hungry of your ' Ego
' , and it was the legislation to sacrifice your ego , if you sacrifice your
ego then he will be happy and sacrifice himself on you.
The deal is so cheap , you
sacrifice your ego , then he turns down himself fully on you , then you and God
becomes one.So:
Please Think Over :
Is it necessary to sacrifice the
things ,what will happen if you sacrifice the things to God which God had
created .God has created human-being,animals,birds,trees ,flowers and will you
think he will be happy by accepting those things which he created.
God has not created your 'Ego',your
'I' your 'Ignorance' and if you sacrifice it then he will be extremely
happy."~~Mahashunya