Sunday, 1 March 2015

सीखा हुआ ज्ञान और अनसिखा ज्ञान : Learned Knowledge and Unlearned Knowledge :

सीखा हुआ ज्ञान और अनसिखा ज्ञान :


"यहा पर संसार मे जो भी पढ़ा,लिखा,सीखा ,याद किया जाता है या जानकारी एकत्रित की जाती है वो सब की सब बाहर की है,नश्वर है, मिटने वाली है ,जगत की है जो अनित्य है,मन तक ही सीमित है।
परंतु जो भी अनसीखी है,ना ही पढ़ी हुई,ना ही लिखी हुए,ना ही सीखी हुई,ना ही याद की हुई,ना ही जानकारी एकत्रित की हुई है वो सब की सब आपके भीतर की है,आपकी स्वयं के स्वरूप की है,आपकी आत्मा की है,शाश्वत है,कभी मिटती नही और नित्य है ,मान के पार है।
धर्म का ज्ञान,आत्मा का ज्ञान कभी सीखा नही जाता वो तो सिर्फ़ उगाड़ा जाता है ,अज्ञान का भ्रमरूपी परदा हटाना भर है"~~महाशून्य


Learned Knowledge and Unlearned Knowledge :

"Here in the world whatever is being read, written, learned, memorized or all of the information is collected out are all  mortal, is annihilated, the universe who is perishing, is limited to the mind only.
But whatever  neither read nor write, while neither learned nor memorized, nor is the information collected are within you , of your own nature ,of  your soul ,is eternal, never fade, and are beyond mind.

Knowledge of Religion, Self realization is never learnt but is just to remove the curtain of illusions of ignorance."~~Mahashunya

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