मनुष्य की स्वतंत्रता :
"मनुष्य स्वतन्त्र है अपना स्वर्ग या नर्क निर्मित करने
में,चाहे
तो दुःखी रहे या चाहे तो इसी क्षण सुखी हो जाए,चाहे तो जन्मों जन्मों संसार-चक्र में रहे या चाहे तो
इसी क्षण मुक्त हो जाए।
अगर परमात्मा ने इतनी भी स्वतंत्रता नही दी होती की आप अपने दुख और सुख
दोनो के निर्माता हो तो ऐसी स्वतन्त्रता का कोई भी मूल्य नही है जिसमे केवल सुखी
होने या केवल दुखी होने के लिए मनुष्य बँधा हो।
जिस भी व्यक्ति ने यह स्वीकार कर लिया की में स्वयं ही अपने सारे के सारे
दुःख-सुख और सभी परिस्थितियो का
ज़िम्मेदार हूँ ,ऐसा व्यक्ति संसार मे कभी भी दुःखी नही रह सकता है
क्योंकि जो भी वह कर रहा है अपनी स्वतन्त्रता से कर रहा है और परिणाम के लिए खुद
ही ज़िम्मेदार है किसी दूसरे पर ये ज़िम्मेदारी नही थोपता है "~~महाशून्य
Human's Freedom:
"Human is free to build a
heaven or hell, either be sad or happy this moment or may live in the
world-cycle in so many lives or may get liberation in this moment.
If God had not given you so much
freedom to be the creator of both their joys and sorrows ,such freedom has no
value in which human is either bound to be happy always or sad only.
Any person who has accepted that
he is only responsible for all joys-sadness and all the situations of life,such
a person can never be in misery because he takes the full responsibilities of
all his acts done independently and not imposing it to anybody else."~~Mahashunya
No comments:
Post a Comment