Thursday 30 April 2015

"प्रश्न : स्वामीजी नेपाल में जब भूकंप आया तो ईश्वर क्या सोया हुआ था,उन्होने सभी को बचा क्यों नही लिया,क्या ईश्वर इतना निर्दयी है ???

"प्रश्न : स्वामीजी नेपाल में जब भूकंप आया तो ईश्वर क्या सोया हुआ था,उन्होने सभी को बचा क्यों नही लियाक्या ईश्वर इतना निर्दयी है ???



उत्तर :  पहली बात ईश्वर किसी व्यक्ति का नाम नही है जो कही अंतरिक्ष मे बैठा है और पूरे ब्रह्मांड का सूपरकंप्यूटर से संचालन कर रहा हैईश्वर एक शक्ति हैउर्जा है जो पूरे ब्रह्मांड मे व्याप्त है । 

हरि व्यापक सर्वत्र समाना। प्रेम ते प्रगट होहिं मैं जाना।।“---रामायण

दूसरी बात तो ईश्वर कभी भी सोता नही है,वो सदा ही जागा हुआ है ,होश मे रहता है उर्जा कभी सोती नही है
और वो उर्जा अपने यूनिवर्सल नियम के अनुसार कार्य करती रहती है ,उसे इससे कोई लेना देना नही है की कौन जी रहा है और कौन मर रहा है ,उसे कोई फ़र्क नही पड़ता है क्योंकि वो जानती है कि कोई भी कभी भी नही मरता है ,ये शरीर का भी रूप बदलता है इसके पाँच तत्व भी नही मरते है ।
अगर अग्नि मे हाथ डालोगे तो वो प्रकृति के नियम से जलाएगी चाहे बालक ही क्यों ना हो ।
पूरे ब्रह्मांड मे एक खेल नाटकलीला चल रही है और ईश्वर अपने ही आप से खेल रहा है और जिस खेल में हार-जीत की कोई परवाह नही उसमे कभी दुख ,पीड़ा नही होती है सदा ही आनंद रहता है -तो ईश्वर अपने से ही खेलकर आनंद ले रहा है.
काल निर्दयी होता है तथस्थ होता है
ये तो मनुष्य की सोच है कि जो मर रहा है वो निर्दोष है और मारनेवाला ज़िम्मेदार है ,हो सकता है कि जो मार रहा है वह केवल एक प्रतिकर्म पूरा कर रहा हो। क्योंकि इस जगत में कोई अकारण नहीं मारा जाता है। जब कोई मारा जाता है तो वह उसके ही कर्मो के फल की श्रृंखला का हिस्सा होता है। यहां कोई भी कर्म अपने में पूरा नहीं हैवह पीछे से जुड़ा है, और आगे से भी।

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ,
जो जस करई सो तस फल चाखा ।--रामायण 
~~महाशून्य

No comments:

Post a Comment