“विश्व-शांति का आव्हान : ये पृथ्वी ही स्वर्ग हो सकती है : विचार करे :
मेरा पुरे विश्व की सरकारों और आमजनों से यह आव्हान है कि युद्ध, लड़ाई, वैमनस्य, जातिवाद इत्यादि को हमेशा के लिए बंद करे और विश्व में वास्तविक शांति स्थापित करे । क्योंकि युद्ध के द्वारा तुम केवल कुछ जमीन, कुछ भौतिकता तो बढ़ा लेते हो लेकिन मानसिक दुःख जो तुम लोगो को पहुंचाते हो वह कही अधिक आपके देश के लिए घातक है ।
युद्ध में किसी का भाई, किसी का पुत्र, किसी का पति, किसी का रिश्तेदार, किसी का मित्र, किसी के पडोसी की मौत होती है या वह अपंग हो जाता है और एक सैनिक की मौत से इन सारे लोगो को जीवन भर का दुःख पहुंचता है । ऐसे हजारो, लाखो सैनिको की मौत छोटे-बड़े युद्धों में होती रहती है ।
प्रत्येक देश कि सरकार इन युद्धों को आयोजित करने के लिए अरबो, खरबों रुपये फूंक देती है जिसकी कि कोई आवश्यकता नहीं है । प्रत्येक देश अपनी कुल बजट का १० से २५ % तक रक्षा बजट में खर्च करता है । जिसका उपयोग अगर देश की गरीबी, भुखमरी को दूर करने में और सभी के लिए रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार के अवसर पैदा करने में लगावे तो इस विश्व में मनुष्य बहोत ही शांति, आनंद और प्रसन्नता से जी सकता है ।
विचार करे :
युद्धों से क्या फायदे है और क्या नुक्सान है । केवल कुछ चुनिंदा लोगो के अहंकार के पोषण के सिवाय और कुछ भी नहीं । अगर सैनिको से पूछोगे तो उनमे से ९९ % लोग यही कहेगे कि युद्ध नहीं होना चाहिए, केवल १ % लोगो के खातिर लाखो, करोडो लोगो कि हत्या हो जाती है और करोडो लोगो का चहेता, प्यारा, दुलारा व्यक्ति उनकी जिंदगी से हमेशा के लिए चला जाता है ।
सैनिको से माताओ से, पिताओ से, भाइयो से, पत्नियों से, पुत्रो से, मित्रो से पूछोगे तो वे भी यही कहेगे कि हम युद्ध में हमारे प्यारो को नहीं भेजना चाहते है । केवल वे सरकारी, सुख-सुविधाओ ,पद, प्रतिष्ठा या महत्वाकंछाये के कारण कि युद्ध में जाना चाहते है और हत्या करने को भी तैयार हो जाते है । और अगर यही सुख, सुविधा लोगो को वैसे ही मिलती रहे तो कौन युद्ध में जाना चाहेगा ।
मनुष्य मात्र का ही नहीं, प्राणी मात्र का यह स्वभाव है जीना, मरना नहीं । कोई भी मरना नहीं चाहता है, फिर सैनिको कि बलि भी क्यों ।
जापान में हिरोशिमा और नागासाकी में एटम-बम्ब गिराने से क्या मिला, केवल ये अहंकार कि हमारे पास इतनी शक्ति है, लोग हमसे डरे, हमें सम्मान करे । लोग भी केवल ऊपर-ऊपर डरते है, अंदर से तो वो भी उन्हें ख़त्म करने का सोचते होगे ।
युद्ध का कारण है केवल महत्वाकान्छा –कुछ लोगो कि ज्यादा सुखी होने कि, ज्यादा समर्द्ध होने कि, अपने अहंकार के पोषण के सिवाय और कुछ भी नहीं । केवल उन चुनिंदा लोगो कि वजह से पूरा विश्व क्यों भुगते । विचार करे, अपने विवेक का उपयोग करे ।
इसीलिए मेरा पुरे विश्व कि सरकारों, नागरिको, बुद्धि-जीवियो, विचारको से निवेदन है कि विचार करे , सोचे कि आखिर युद्ध से क्या हासिल होने वाला है । इसको बंद करने के लिए प्रयास करे, अपने चहेतों को युद्ध में भेजने के लिए तैयार न करे । कोई भी पत्नी अपने पति को न भेजे, कोई भी मां अपने पुत्र को न भेजे, कोई भी भाई अपने भाई को न भेजे और सभी मित्र, रिश्तेदार, पडोसी उस व्यक्ति को युद्ध में न भेजने में सहयोग करे ।
सभी देशो की सरकारे युद्ध में मारे गये सैनिको को “शहीद“ शब्द से या ‘परमवीर-चक्र’ इत्यादि का मरणोपरांत पद देकर केवल घाव में मलहम लगाने का काम ही कर सकती है, उन्हें उनका पुत्र, पिता, भाई, पति, मित्र, रिश्तेदार, पडोसी वापस नहीं ला सकती ।
आज विश्व में इतने परमाणु बम है कि इस पृथ्वी को सेकड़ो बार नष्ट किया जा सकता है । जब पृथ्वी पर जीवन ही नहीं रहेगा तो क्या होगा । लेकिन मनुष्य कि आत्मा तो भटकेगी ही, उसे उसकी वासना पूरी करने के लिए मनुष्य का शरीर ही चाहिये और वह केवल इस पृथ्वी पर मिल सकता है । हो सकता है मनुष्य की आत्मा अनंत-काल तक भटकती रहे या जब तक वापस इस पृथ्वी पर फिर से जीवन प्रारंभ न हो तब तक, लेकिन तब तक सारी संस्कृति, सभ्यताए, मनुष्य की विकसित चेतना नष्ट हो चुकी होगी । लेकिन ये सब होगा केवल कुछ देशो के कुछ चुनिंदा राजनेताओ, महत्वाकान्छी लोगो के कारण । इसीलिए
- सभी देशो की सभी सीमाओं को मिटा डालो,
- कोई भी पासपोर्ट, वीसा कि आवश्यकता नहीं को ।
- सभी मनुष्य पृथ्वी पर कभी भी, कही भी आने-जाने, रोजगार तलाशने में स्वतंत्र हो और
- पुरे विश्व का नियंत्रण केवल एक ‘विश्व-सरकार’ करे ।
- इस पुरे विश्व को “पृथ्वी“ ( The Earth ) नाम भी दे सकते है ।
आज मनुष्य ने विज्ञानं में इतनी खोज कर ली है कि वह चाहे तो पूरी पृथ्वी को स्वर्ग बना सकता है । प्रत्येक व्यक्ति को रोटी, कपड़ा, मकान के अलावा और भी सारी सुख-सुविधाओ के साधन उपलब्ध हो सकते है क्योंकि अब पुरे विश्व का रक्षा बजट का पैसा इसी कार्य में लगेगा और कोई भी देश केवल अपने देश कि नहीं सोचेगा, केवल मनुष्य मात्र कि सोचेगा, जहाँ पर जिस चीज कि कमी है उसकी पूर्ति वहा से होगी जहाँ वो बहुतायत में है ।
और तो और देश के सैनिक भी रोजगार कर विश्व के लोगो कि सेवा करते हुए कुछ न कुछ विश्व को समर्द्ध बनाने में सहयोगी होगे ।
युद्ध बंद होने से जनसँख्या वृद्धि भी रुकेगी । अभी कई लोग युद्धों में सैनिको के मरने के कारण और अपने देश, धर्म, समाज के लिए लड़ने के कारण अधिक बच्चे पैदा करते है । बाकि अगर आवश्यक हो तो सरकार जनसँख्या वृद्धि को रोके ।
विश्व के इतिहास में अगर हम जाये तो देखेगे कि भौतिकता के सुख से ज्यादा तथाकथित धर्मो कि लड़ाई ज्यादा हुई है । धर्म के आधार पर लोगो की ज्यादा हत्या की गई है और इसी वजह से अपनी सुरक्षा के लिए अलग-अलग धर्मो-मजहबो के संगठन, संस्थान बन गई है । इसीलिए
- सारे तथाकथित धर्मो की सीमाओ को भी तोडना होगा ।
- इस पृथ्वी पर केवल एक धर्म होगा चाहे उसका नाम “मानव-धर्म” या “आत्म-धर्म“ रख सकते है ।
- कभी भी विश्व के अख़बारों में किसी भी जाति, मजहब, धर्मो के आधार पर कोई भी खबर नहीं होगी, केवल नाम के आधार पर, मानव के आधार पर ।
अगर इस बात से आप सहमत है और आपके विचार भी मेरे विचारों से सहमत है तो कृपया ज्यादा-से ज्यादा अपने मित्रो, ग्रुप में इसे पसंद करे और शेयर करे ताकि यह बात पुरे विश्व कि सरकारों, राजनेताओ, बुद्धिजीवियों तक पहुंचे और वे भी एक बार विचार करने पर मजबूर हो जाये और शायद ये पृथ्वी ही स्वर्ग हो जाये ।“~~महाशून्य
"The urge for World-Peace : There may be Heaven on this
Earth : Think Over It :
I urge to the all world’s governments
and citizens that please stop all the wars, fighting’s, enmities, and racism
etc. so as to establish real peace in the world. Because by wars you are only
increasing the ‘materialism’ but you are giving a great ‘Mental’ suffering to
the people of your country which is more deadly.
In wars someone’s brother,someone’s
son,someone’s husband,someone’s relative,someone’s friend or neighbor either
dies or get hurt severely and by death of one soldier the whole family suffer
whole life .These lakhs ,millions of soldiers die in a small-big wars.
The government of each country is
spending millions, trillions of rupees to conduct these wars which is not necessary.
Each country is having around 10 to 25 % of its total budget as
defence-budget.If this budget is being used for the removal of poverty, hunger
and utilized in the arrangement of fooding,clothing,housing and creation of job
opportunities then humans can live on this earth peacefully,blissfully and
happily.
Think over it :
What are the advantages and
disadvantages of wars? Only the fulfillments of ego of few selected people and
nothing else. If you ask to the soldiers then 99 % will say that there should
not be any wars.For the sake of 1 % people millions of soldiers are killed and
and their families are losing their cute, lovely and cherished person’s life
forever.
When you ask to
mothers,fathers,brothers,wives,sons,friends they will say we do not want to
send our lovings to the wars. Only because of government’s facility ,amenities,
post,ambitions soldiers are ready to kill anyone. And if these comfort and convenience
people are having in their life then who would like to go to war. It is the in-built
nature of all creature of the earth that to live, not die. No one wants to die,
then why soldiers sacrifice.
What happen by bombarding atom-bomb
on Hiroshima and Nagasaki in Japan only the ego that we have so much energy,
people will be afraid of, respect us. People are afraid superficially, inside
they think to end them also.
The real cause of war is just
ambitions of some people who wants to be more powerful,rich and this is not
more than fulfilling the ego. Why all people suffer because of only few people.
Just Think over it, use your wisdom.
So it is my humble request to all
words’s governments, citizens, intelligence people to think over it that what
will we accomplish out of these wars.Try to close all the wars and never ready
to send your beloved to the war.No wife should send his husband,no mother
should send his son, no brother should send his brother, and all friends and
neighbors should help them not to send them in a war.
The government of all the country
give the title of ‘martyred’ after the death of the soldiers which is
just to put balm on their wounds but can never return their
father,husband,brother,son,friend,relatives .
The world has so many nuclear bombs
that can destroy the earth hundred times.What will happen if there will be no
life on earth. But the human soul will wander around to get fulfill their
desires which can be fulfill by this body only which can take birth on this
earth only.Human soul may have to wander eternity or until the life starts
again on this earth,but by that time all culture,civilization,developed human
consciousness would have been destroyed. But this will happen only because of
few selected ambitious and political people.So
- So erase all the
boundaries of all the countries and
- There should not be any
need of passport and visa.
- All the people should
be free to go and come to all the places of the earth to find their work,jobs
and
- The whole earth should
be controlled by a single ‘world-government’ .We can give this whole
world the name “The Earth“.
Today science has discovered so
much that if they want the whole earth can become a paradise. Each and every
person will be having a foods,cloths,shelter with all other amenities because
now all the money of ‘Defence-budget will be utilized here and no country will
think of his country only but only of human being and where there will be shortage
of anything will be compensated from where there is plenty.
Moreover all the soldiers will also
serve the people and do their jobs to make this earth more wealthy.
If wars are closed then there will
be control in population also because many people give birth to more people
because some of them died in the wars and for the quarreling for their country,
religion,society.If necessary world government will control the populations
further.
If we go into the history of the
world then we will see that there were more religious fight than the fight for materiality.
Much people have been killed in religious wars so as a result become religious organizations
for the safety.So
- We need to erase all
the boundaries of all so called religions and
- There will be only one
religion which can be named as “Manav-Dharm” or Atma-Dharm”.
- There will never be any
news related to the caste, religions,panth in any news paper of the world but
on the basis of the names and humanity only.
If you are agree with this and me
then please like and share it to as many friend,groups,whatsapp groups of the
world so that it can reach to all the words’government,politicians ,intellectuals,
citizens and it compelled them to think over it and perhaps this earth becomes
a paradise.”~~Mahashunya