Sunday 15 April 2018

स्त्री पुरुषों के भेद को मिटाना ही असली 'महिला दिवस मनाना है :

स्त्री पुरुषों के भेद को मिटाना ही असली 'महिला दिवस मनाना है :

🧕स्त्री को पूरा सम्मान तब मिलेगा जब आप स्त्री को केवल अबला स्त्री नही समझेगे। वास्तविक सम्मान तभी होगा जब स्त्री पुरुष का भेद ही नही रह जावे।
स्त्री पुरुषों को समान अधिकार और इज्जत मिले।
🧕कही पर भी कोई कार्यक्रम हो तो स्त्री पुरुष साथ मे बैठे। चाहे स्कूल की कक्षा हो या राशन की लाइन,या कोई व्याख्यान,या कोई सत्संग।
🧕स्त्री पुरुष का भेद इतना मिट जाये की कोई स्त्री प्रवेश करें तो आपको ऐसा नही लगना चाहिए कि स्त्री ने प्रवेश किया, बल्कि सिर्फ इतना भर की कोई मनुष्य आया है।
वैसे ही अगर पुरुष प्रवेश करें तो स्त्रियों को ऐसा नही लगना चाहिये कि कोई पुरुष आया है,बल्कि सिर्फ कोई आया है और पुरुष को देखकर वह अपने कपड़े भी ठीक नही करना पड़े क्योंकि पुरुष की दृष्टि में भी वासना नही रह जायेगी।
🧕जितना स्त्रियों को पुरुषों से अलग रखोगे उतना ही पुरुषों के मन में स्त्रियों के प्रति आकर्षण रहेगा औऱ अगर स्त्री नही मिली तो फिर वो गलत हरकत करेगा।
जितना स्त्रियों के बदन को कपडों से ढकोगे उतना ही उसके बदन को देखने की चाहत रहेगी।
🧕आदिवासियों में स्त्रियों के प्रति इतना आकर्षण नही है क्योंकि वो अपने बदन को ज्यादा ढकते नही है,वहाँ कभी कोई घटना भी सुनाई नही पडती जितनी आज के सभ्य समाज मे सुनने को मिलती है।
*जो चीज जितनी छुपाई जाती है उस वस्तु के प्रति उतना ही आकर्षण होता है* और एक बार उस वस्तु को देख लिया,अनुभव कर लिया तो आकर्षण कम हो जाता है और आकर्षण कम हुआ तो फिर उस वस्तु को पाने की होड़ भी कम हो जाती है।"~
*महाशून्य*

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