स्त्री पुरुषों के भेद को मिटाना ही असली 'महिला दिवस मनाना है :
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स्त्री पुरुषों को समान अधिकार और इज्जत मिले।
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वैसे ही अगर पुरुष प्रवेश करें तो स्त्रियों को ऐसा नही लगना चाहिये कि कोई पुरुष आया है,बल्कि सिर्फ कोई आया है और पुरुष को देखकर वह अपने कपड़े भी ठीक नही करना पड़े क्योंकि पुरुष की दृष्टि में भी वासना नही रह जायेगी।
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जितना स्त्रियों के बदन को कपडों से ढकोगे उतना ही उसके बदन को देखने की चाहत रहेगी।
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*जो चीज जितनी छुपाई जाती है उस वस्तु के प्रति उतना ही आकर्षण होता है* और एक बार उस वस्तु को देख लिया,अनुभव कर लिया तो आकर्षण कम हो जाता है और आकर्षण कम हुआ तो फिर उस वस्तु को पाने की होड़ भी कम हो जाती है।"~*महाशून्य*
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