कबीर जयंती :
कबीर ने कहा है " गुरु तो रंगरेज है "वो शिष्य को अपने ही रंग से रंग देता है मतलब वो शिष्य को भी गुरु ही बना देता है,
कबीर फिर कहते है :
"पारस और संत मे एक ही अन्तर जान,
पारस लोहे को सोना करे,संत कर दे आप समान ॥ “
“’गुरू गुरू में भेद है, गुरू गुरू में भाव ।
गुरू सोई बंदिये, जो सबद बतावे दाव ॥"
गुरू सोई बंदिये, जो सबद बतावे दाव ॥"
“’गुरू से लगन कठिन है भाई, गुरू से लगन कठिन है भाई ।
लगन लगे बिन काज न सरि है, जीव प्रलय हो जाई॥"
लगन लगे बिन काज न सरि है, जीव प्रलय हो जाई॥"
"सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी, ओढ़ी कै मैली कीनी चदरिया।
दास 'कबीर' जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धरि दीनी चदरिया॥"
दास 'कबीर' जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धरि दीनी चदरिया॥"
”’जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये ।
मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय ॥"
मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय ॥"
“’माटी का एक नाग बनाके ,पुजे लोग लुगाया ।
जिंदा नाग जब घर में निकले ,ले लाठी धमकाया ॥"
जिंदा नाग जब घर में निकले ,ले लाठी धमकाया ॥"
कबीर जयंती पर सभी मित्रो को हार्दिक शुभकामनाये ॥"~~महाशून्य